विश्वास शून्य में से कुछ बना सकता है ...
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यह बास्ताविक और सच्चे प्रकार का मैजिक है जो आपके जीवन में विश्वास की खातिर ही हो सकता हैआपकी स्थितियाँ या परिस्थितियाँ चाहे जो हों , आपको वर्तमान से सीमित होने की ज़रूरत नहीं है । विश्वास आपकी आँखें उन बहुत सचे और ठोस अवसरों के प्रति खोल देगा , जो आपके चारों तरफ इंतज़ार कर रहे हैं , लेकिन अगर आपको विश्वास नहीं होगा ,तो आप ऐसा क्यों करेगे तो आप उनकी तलाश भी नहीं करेंगे ।
ज़्यादा छोटे और रोजमर्रा के पैमाने पर देखें , तो एक मित्र हाल ही में मुझे एक मकान खरीदने का अपना अनुभव बता रही थी । उसे एक उपेक्षित जायदाद दिखी , जो बहुत ही सस्ते दामों में बिक रही थी और भाव काफ़ी वाजिब लग रहा था । यह पत्थर का बना पुराना मकान था और इससे वह ललचा गई , हालाँकि दशकों से इसकी सजावट या मरम्मत नहीं हुई थी ।
जायदाद एक बुजुर्ग महिला की थी , जो एकाकी जीवन जी रही थी और उसने पीछे के आँगन को पूरी तरह परित्यक्त कर दिया था । इससे यह उलझे हुए झाड़ - झंखाड़ों के समूह में बदल गया था , जो निराशाजनक रूप जंगली लग रहे थे । नल और बिजली जैसे कामकाजी बुनियादी मुद्दे तो थे ही , इसके अलावा सजावटी योजना " भी हर उस चीज़ का मिश्रण थी ,
जो 1970 के दशक में गड़बड़ थी - नकली मख़मली वॉलपेपर से लेकर भड़कीले मिरर्ड टाइल्स तक । इसके बावजूद मेरी मित्र ने उस जर्जर मकान और गंदे आँगन की संभावना को देख लिया , हालाँकि कॉन्ट्रैक्टर्स उसे बता रहे थे कि जीर्णोद्धार कराने का उसका निर्णय गलत था और सबसे अच्छा यही रहेगा कि वह उस जगह पर बुलडोज़र चलवा दे और नए सिरे से मकान बनवाए ।
ज़िद पकड़कर उसने अपने सपने को थामे रखा और जानते हैं क्या हुआ ?
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जीर्णोद्धार पूरा होने पर आलोचनात्मक व्यवसायी तक उस प्यारे पत्थर के मकान के गुण गा रहे थे , जिसे उसने पूर्ण उपेक्षा से उबारा था - और विनाश से बचाया था । अच्छी बात यह थी कि भारी जीर्णोद्धार के बावजूद उसे यह मकान इतने दाम में पड़ा , जो उस इलाके के मकानों से काफी कम था । चाहे आपका मकसद संसार को बदलना हो या सिर्फ अपनी खुद की परिस्थितियों को बेहतर बनाना हो , विश्वास सर्वश्रेष्ठ संभव परिणाम हासिल करने में एक मुख्य भूमिका निभाता है ।
तो , एक तरफ़ ऐसा विश्वास होता है , जो अंधा और गलत जगह पर रखा होता है । दूसरी तरफ़ ऐसा विश्वास होता है , जो बेहतर कल की सच्ची राह होता है । आप इन दोनों का फ़र्क कैसे जान सकते हैं ? आप कीमियागर बनने यानी असफल होने से कैसे बचें और इसके बजाय उन लक्ष्यों तक कैसे पहुँचें , जो हासिल किए जा सकते हों ? आने वाले अध्याय आपके विश्वास असल संसार में रखने के बारे में ज़्यादा विस्तार से बात करेंगे । उनमें आपको दिवास्वप्न और असली स्वप्न के बीच का फ़र्क बताया जाएगा । लेकिन हाल - फ़िलहाल इस बात पर विचार करें : विश्वास वह है ,
जो पहली योजना के नाकाम होने के बावजूद आपको चलाता रहेगा । तब आपको असफलता अंतिम परिणाम नहीं , बल्कि सिर्फ एक सीढ़ी लगेगी , क्योंकि आपके पास स्वप्न होगा और कोशिश करते रहने का साहस होगा । आपमें अपनी सोच को दोबारा ढालने और अपनी पद्धतियों का नए सिरे से इस्तेमाल करने का दमखम होगा , जब तक कि आपके पास कारगर , असली समाधान न आ जाए । निश्चित रूप से डॉ . किंग , जूनियर के मार्ग में कई बाधाएँ और मुश्किलें थीं । इसी तरह मकान खरीदने वाली मेरी मित्र को भी घर के जीर्णोद्धार की राह में रोंगटे खड़े करने वाले पल झेलने पड़े थे ।
ऐसा नहीं है कि विश्वास अपने आप हर चीज़ को आसान बना देगा - लेकिन यह निश्चित रूप से आपको अंत तक ले जाएगा और यही सबसे अहम हिस्सा है । विश्वास जोशपूर्ण अंतर्बोध है ।
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