Train में मिली एक बहुत ही सुन्दर लड़की । जबरदस्त love story 

Love story motivational story in Hind


हेल्लो दोस्तों मेरा नाम मोहित है मै आपके साथ एक कहानी शेयर करना चाहता हूं यकीनन आपको इस कहानी मे बहुत मज़ा आएगा कही न कहीं ये कहानी आपकी लाइफ से जुड़ी है आपके साथ भी ऐसा हुआ होगा । अब आपको हम सीधे कहानी पर लेकर चलते है नहीं तो आप कहोगे की क्या यार कहानी सुनाओ न , क्यों धड़कने तेज कर रहे हो । 



ये कहानी उस समय की है जब मै 12th pass करने के बाद एयरफोर्स एग्जाम की तैयारी कर रहा था तब मै लगभग 18 साल का था आप तो जानते ही है कि इस समय हमारे ऊपर पूरी तरह से प्यार का एक भूत सा सबार हो जाता है और हम चाहते है कि हमारी भी कोई गर्ल फ्रेंड बने । हम भी एक दूसरे का हाथ पकड़ कर साथ साथ घूमे । मन में हजारों सवाल उठते है रातो की नीद हराम हो जाती है गर्ल फ्रेंड के चक्कर में , सोचते है कि कब वो दिन आएगा जब मेरी भी एक girlfriend होगी । कितना मज़ा आएगा । हमारे मन में हजारों अरमान होते है एक girlfriend को लेकर , इतना तो हम पढांई की भी नहीं सोचते जितनी girlfriend की सोचते है । क्यों सही कह रहा हूं न आपको भी अपने वो वाले दिन याद आ गए न , कोई न होता है 





मै एयरफोर्स की तैयारी कर रहा था एयरफोर्स की कोचिंग में लडकियां तो होती नहीं है मैने तैयारी की बहुत अच्छे से , अब एग्जाम का समय नजदीक आ रहा था वैसे है मेरी टेंशन बढ़ती जा रही थी । मेरा एग्जाम सितंबर में था ।मेरा एग्जाम दिल्ली में था । एग्जाम में बस कुछ ही दिन शेष थे में एग्जाम की pratice में लगा हुआ था । धीरे धीरे समय निकलता गया और मेरे एग्जाम की तारीख आ गई । मेरा एग्जाम दो दिन बाद था 



एग्जाम की तारीक से एक दिन पहले मेरी ट्रेन थी 10 सितंबर को सुबह 9 बजे की । और बाकी ट्रेन waiting में थी तो मैने सुबह की ही टिकट बुकिंग करा ली थी । 9 सितंबर को मै सुबह घर से निकल आया और स्टेशन पर आकर अपनी ट्रेन का wait करने लगा । कुछ समय बाद ट्रेन आयी । और मै अपना बैग लेकर ट्रेन में बैठ गया । ट्रेन चलने लगी ।



मेरी एक बहुत बुराई हैबिट थी कि मै जब भी कभी ट्रेन में सफर करता था तो मुझे नीद आने लगती थी। ट्रेन ने अपनी रफ़्तार पकड़ ली। कुछ समय बाद मेरी आंख लग गई और मै अपनी सीट पर सो गया । 



ट्रेन के अगली स्टेशन पर रोकने के कारण और लोगो के ट्रेन आने से उनकी आवाज से मेरी नीद खुल गई । 



मै अपनी सीट पर उठकर बैठ गया । हाथों से आंखे मीड़ते हुए खोली जैसी ही मेरी नजर सामने वाली सीट पर गई । मैं देखता ही रह गया पलक मारना भी भूल गया । मेरे सामने एक बहुत ही सुन्दर लड़की बैठी हुई थी क्या लड़की थी यार काले लंबे बाल हाय , गोरे गोरे गाल मन तो कर रहा था अभी जाके kiss कर दू। लेकिन बड़ी मुश्किल से कंट्रोल किया गुलाबी होंठ दूर से बहुत मन मोहक खुशबू बिखेर रहे थे ये खुशबू मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रहा थी मै उन गुलाबी होठों में ऐसे खो गया जैसे समुद्र में गिरे पत्थर का खो जाना । 



और उसकी आंखो का तो कोई जवाब ही नहीं इन आंखो डूबने का बहुत मन कर रहा था । वो जब पलक झपकाती थी तो एक दम पर जैसी लगती थी । हाय क्या लड़की थी यार मानो ऐसा लग रहा था कि है भगवान ने इसे फुरसत में बनाया हो , है भगवान तूने इसे इतना सुंदर क्यों बनाया । 

लड़की अपने बॉडी को जींस और टॉप से ढकें हुए थी यानी कि पहने हुए थी ।, 




मेरी नजर उससे हटने का नाम ही नहीं ले रही थी । लड़की ने मेरी तरफ देखा तो मैने जैसे तैसे खुद की नजरो को उससे दूर हटाया । मै उससे नाम पूछने की कोशिश कर रहा था लेकिन मेरी उससे नाम पूछने की हिम्मत ही नहीं हो रही थी । लड़की ने मुझे अपनी तरफ घूरते हुए देख लिया था । लड़की भी नोटिस के रही थी कि मै उसे देख रहा हूं । 



मैं उसे कभी लेटकर देखता तो कभी बैठ कर छुप छुप कर उसे देखने को कोशिश कर रहा था लेकिन अब लड़की भी मुझे बीच बीच में देख लेती थी वो जब मेरी तरफ देखती मेरे मन में लड्डू फ़ूटने लगते , मुझे बहुत खुशी मिलती थी , 



कुछ देर बाद में लेट गया और अपने हाथो में मुंह को छिपा कर उसे देखने लगा ताकि वो मुझे देख न सके । उसने मुझे ये सब करते हुए देख लिया एक थोड़ा सा मुस्करा दी । अब मै समझ गया अब तो हमारा कुछ हो सकता है ग्रीन सिनगल मिल गया ।



कुछ समय बाद एक स्टेशन पर ट्रेन रुकी । वो कुछ खाने के लिए ट्रेन से निकल कर स्टेशन पर आ गई । उसके पीछे पीछे मै भी आ गया लेकिन मै platform पर नही गया ट्रेन में से खड़े होकर उसे निहारने लगा । दूसरी तरफ से एक आवाज आती है निहारिका , हाय , शायद वो उसकी फ्रेंड थी मेरी एक problem तो सॉल्व ही गई थी मुझे उसका नाम जो पता चल गया था , निहारिका कितना प्यारा नाम है , 



वो दोनो वह खड़े होकर बाते करने लगी इधर चलने लगी बातो वो दोनो इतनी मग्नं थी कि उनकी ट्रेन का हॉर्न भी सुनाई न दिया ट्रेन चलने लगी तब मैने आवाज लगी निहारिका ट्रेन चलने लगी है जल्दी आओ। फास्ट जल्दी करो , इधर ट्रेन अपनी स्पीड पकड़ रही थी निहारिका भागने लगी , मैने बोला निहारिका थोड़ा और तेज फिर वो मेरे नजदीक आ गई और उसने अपना हाथ आगे बढाया मैने अपना हाथ उसके हाथ में दिया और उसे झटके से अपनी तरफ खीच लिया । निहारिका मैने सीने से आ लगी ओर मेरा एक हाथ उसकी कमर को पकड़ हुए था । एक पल के लिए ऐसा लगा काश ये पल यही थम जाए कितना अच्छा होगा 

मै इसे अपने सीने से ऐसे ही लगाए रही उसने भी मुझे डर की से मुझे अपने दोनो हाथों से जकड़ लिया था हम दिनों एक दूसरे से बिल्कुल चिपके हुए थे हमारे बीच मेसे हवा भी नहीं निकल सकती थी । 



कुछ पल के लिए मुझे लगा कि यही जीवन का असली आनंद है । कुछ देर बाद उसने मुझे छोड़ा और मेरी आंखे में आंखे डाल कर देखा थोड़ी मुस्कराई और भाग कर अपनी सीट पर चली गई । मैं भी अपनी सीट पर आकर बैठ गया ।

मेरे मन में बार बार भी सीन चल रहा था । भाईयो क्या यही प्यार है , जितने भी भाई या बहन जो इस स्टोरी को पढ रहे है वो मुझे जरूर बताए - क्या यही प्यार है 



निहारिका के साथ उसके कुछ relatives भी थे जो नीचे वाली सीट पर बैठे हुए थे , अब तो निहारिका भी मुझे निहारने लगी थी , मै भी उस देखे जा रहा था । नीचे बैठे कुछ relatives की वजह से हम बाते नहीं कर पा रहे थे । 




थोड़ी देर बार निहारिका अपनी सीट ने नीचे उतरी और उतरते समय उसमे मेरे हाथ में एक पर्ची थमा दी । मैं तो एक दम शॉक रह गया कही न कहीं खुशी भी थी मै फुला नहीं समा रहा था । मैने पर्ची खोल कर देखा उसमे लिखा था ओय फट्टू बाहर आ जलदी । मुझे कुछ दिखाना है । 



जल्दी से उतरा और टॉयलेट कि तरफ जाने लगा वह जाकर उसे देखने लगा लेकिन वो मुझे कहीं दिख ही नहीं रही । अचानक से उसने टॉयलेट का दरवाजा खोल और मुझे पकड़ कर टॉयलेट के अंदर घुसा लिया । फिर निहारिका एक साइड में खड़ी हो गई । कुछ देर तक हम दोनों के बीच चुप्पी रही । फिर मैने कहा निहारिका क्यों बुलाया मुझे यहां एक भी टॉयलेट । मैने उसकी तरफ देखा उसकी आंखो मे आसू आ गए और वो रोते हुए कहने लगी । हमारे बीच कुछ ही उससे पहले मै तुमको कुछ दिखाना चाहती हूं । मैने कहा निहारिका कहो न क्या कहना चाह रही हो तुम मुझसे बिना डरे बोल सकती हो । 



निहारिका ने अपने कंधे से अपनी टॉप को नीचे करने लगी । मुझे लगा कही ये कुछ ग़लत न करदे मैने कहा निहारिका ये क्या कर रही हो तुम । मैने अपनी आंखे बन्द करली ।निहारिका रोते हुए बोली ये है मेरी बदनसीबी मेरा कहा नहीं ये सब मुझे न देखना मैने बिना देखे कहा । उसने फिर से कहा तो मैने देखा ।उसकी पीठ पर कंधे से थोड़ा नीचे एक बड़ा जला हुआ दाग था । जो देखने में बहुत ही बेकार लगता था । निहारिका बोली मेरी ये सबसे बड़ी परेशानी है मुझे बहुत सारे लड़के वाले देखने आए सभी इस दाग की वजह से मना कर देते थे । 



मैने उसे अपनी खीचा ओर इसे गल लगा लिया और कहा निहारिका मैने तुमसे प्यार किया है तुम्हारे बॉडी से नहीं मै तुमको दिल से चाहता हूं क्या तुम मेरी लाइफ पार्टनर बनोगी । वो एकदम से मुस्करा उठी और उसकी आंखो मे थोड़े आंसू भी थे उसमे हां में सिर हिला दिया । 



निहारिका के मम्मी पापा नहीं थे उनकी एक हादसे में मौत हो गई थी अपने घर में अकेली निहारिका ही थी जो अपनी दीदी के घर रहती थी । उसकी दीदी इस रिश्ते के लिए राजी हो गई । 



कैसी लगी आपको हमारी लव स्टोरी कॉमेंट करके हम जरूर बताएं आपका एक कॉमेंट हमे बहुत motivate करता है । अगर आपके पास भी ऐसी ही कोई स्टोरी है तो आप हमे जरूर शेयर करे 



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