Thomas alva edison | एडीसन | बिजली के बल्ब के अविष्कारक | inspiring short stories on positive attitude | motivation bank
![]() |
inspiring short stories on positive attitude |
आपने शायद इससे पहले एडीसन का नाम न सुना हो । क्या आप जानते हैं कि वह एडीसन ही था , जिसने हमारे लिए बिजली के बल्ब की खोज की । एडीसन का पूरा नाम था - थॉमस अल्वा एडीसन । वह अमेरिका का निवासी था । बचपन से ही उसको बुद्धि बड़ी तीक्ष्ण थी । वह भाँति - भांति के प्रश्न किया करता था और जब तक उसे सही उत्तर न मिलता , वह संतुष्ट नहीं होता था । उसे बहकाना आसान नहीं था । इस संबंध में एक घटना है । उस समय एडीसन की अवस्था लगभग आठ वर्ष थी ।
एक दिन उसकी अध्यापिका कक्षा में विद्यार्थियों को पक्षियों की कहानी सुना रही थी । अचानक एडीसन उठा और बोला , " मैडम , मनुष्य पक्षी की तरह क्यों नहीं उड़ सकता ? " अध्यापिका ने उत्तर दिया , “ क्योंकि मनुष्य के पक्षियों की तरह पंख नहीं होते । " एडीसन ने क्षणभर सोचा और फिर बोला , ' मैडम , पंख तो पतंग के भी नहीं होते । वह कैसे उड़ जाती है ) " अध्यापिका हैरान ! उसे कोई उत्तर नहीं सूझा । इतने में कक्षा के दूसरे बच्चे हँसने लगे । अध्यापिका को लगा कि ( यह बच्चा मूर्ख और दुष्ट है । वह क्रोध से तिलमिला उठी और एडीसन को तुरंत स्कूल से निकाल दिया । inspiring short stories on positive attitude
एडीसन को बचपन से ही नए - नए प्रयोग करने का शौक था । कुछ प्रयोग तो इतने बेहूदे थे कि सुनकर भी हंसी आए । जैसे - एक दिन सवेरे वह बाहर बगीचे में बैठा हुआ था । अचानक एक चिड़िया उड़ती हुए आई । उसने । कुछ कौड़े अपनी चाँच में उठाए और उड़कर चली गई । एडीसन के मस्तिष्क में विचार आया कि चिड़िया कोई खाती है , इसीलिए वह उड़ सकती है ।
यदि आदमी भी कीड़े खाए , तो वह भी उड़ सकता है । उसके मस्तिष्क में विचार आनेभर की देर थी , वह उसे आजमाने को मचल उठा । उसने कुछ कौड़े इकट्ठे किए , उन्हें एक खरल में घोटकर पानी मिलाया और उनका मिश्रण तैयार कर लिया । उस मिश्रण को एक प्याले में करके घर की नौकरानी , जो एक सीधी लड़की घी , के पास ले गया और बोला , " यह एक अद्भुत मिश्रण है । यदि तुम इसे पियोगी , तो पक्षी को तरह उड़ने लगोगी । आओ , इसे पियो और इसका कमाल देखो । inspiring short stories on positive attitude
" उस बेचारी लड़की ने उसका विश्वास कर लिया और मिश्रण को पी गई । वह उड़ तो नहीं पाई , बीमार अवश्य पड़ गई । एडीसन को इस मूर्खतापूर्ण कार्य के लिए बहुत डॉट पड़ी । एडीसन को पुस्तकें पढ़ने का बड़ा शौक था । उसके पिता उसे जो जेबखर्च देते थे उससे वह पुस्तकें खरीद र लेता था । वह बाहर जाकर नए - नए स्थान देखना और नए लोगों से मिलना चाहता था । वह अपना बोझ अपने माँ बाप पर नहीं डालना चाहता था इसलिए उसने रेलवे में नौकरी करने का निश्चय किया ।
उस समय उसकी अवस्था केवल बारह वर्ष थी । वह अखबार - विक्रेता बन गया । एक - दो वर्ष बाद उसने एक पुरानी मुद्गण - मशीन खरीद ली और उसे अपने रेल के डिब्बे में लगा लिया । अब वह अपना अखबार निकालने लगा । इससे उसकी आय बढ़ गई । उसने रेल के डिब्बे में एक प्रयोगशाला भी स्थापित कर ली । एक दिन प्रयोग करते समय अखबारों में आग लग गई । बड़ी कठिनाई से आग बुझाई जा सकी । इस दुर्घटना के बाद एडीसन को रेलवे से निकाल दिया गया ।inspiring short stories on positive attitude
अगले पांच वर्षों में एडीसन ने विभिन्न नगरों में जाकर अनेक कार्य किए । उसने पुस्तकालयों का अच्छा उपयोग किया । वह कारखानों और कार्यशालाओं में जाकर विशेषज्ञों से मिला और उनके अनुभवों से लाभ उठाया । उसने अपने प्रयोग भी निरंतर जारी रखे । एक बार उसके पास कोई काम नहीं था । वह अपने एक मित्र के पास ठहरा हुआ था । उसका मित्र किसी कारखाने में काम करता था । कारखाने में एक बहुत महत्वपूर्ण मशीन थी , जो अचानक खराब हो गई । संयोगवश एडीसन भी वहीं था । उसने थोड़ी ही देर में मशीन को ठीक कर दिया ।
कारखाने का प्रबंधक एडीसन की योग्यता से बहुत प्रभावित हुआ और उसने एडीसन को उसी कारखाने में एक अच्छी नौकरी दे दी । अगले पाँच - छह वर्षों में एडीसन ने एक के बाद एक अनेक आविष्कार कर डाले । 1877 में उसने ग्रामोफोन का आविष्कार किया । वह अपने इस उपकरण को अमेरिका के राष्ट्रपति को दिखाने ' व्हाइट हाउस ' गया । इसके बाद एडीसन सारे देश में प्रसिद्ध हो गया । inspiring short stories on positive attitude
मार्च 1878 में उसने अपने देशवासियों को वचन दिया कि वह दो वर्षों के भीतर उन्हें बिजली का बल्ब दे देगा । सभी वैज्ञानिक उसकी इस बात को सुनकर हँसे । वे मानते थे कि यह एक असंभव कार्य है , पर एडीसन नै किसी की परवाह नहीं की । वह दृढ़ निश्चय के साथ अपने कार्य में जुट गया । उसने अत्यधिक कठोर परिश्रम किया । समय बड़ी तेजी से बीतता जा रहा था , सफलता दूर थी परंतु एडीसन पूरी लगन से अपने कार्य में जुटा हुआ था ।
अंत में वह क्षण आ ही गया , जिसके लिए एडीसन ने रात - दिन एक कर दिए थे । लगभग एक हजार दो सौ प्रयोगों के बाद वह बिजली का बल्ब बनाने में सफल हो गया । वह महान दिन था - एक जनवरी 18801 इस प्रकार दो वर्ष की अवधि पूरी होने से पहले ही एडीसन ने लोगों को दिया हुआ वचन पूरा कर दिखाया । एडीसन ने जिन वस्तुओं का आविष्कार किया और जिनमें सुधार किया , उनकी संख्या लगभग एक हजार है मूक फिल्मों को वाणी देने का कार्य एडीसन ने ही किया था । 1929 में बिजली के बल्ब के आविष्कार की स्वर्ण - जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई गई । inspiring short stories on positive attitude
एक बड़े समारोह में अमेरिका के राष्ट्रपति ने उसे सम्मानित किया । राष्ट्रपति को धन्यवाद देने के लिए एडीसन उठा , पर वह कुछ बोल न सका और अचानक बीमार पड़ गया । डॉक्टरों ने उसे स्वस्थ करने के काफी प्रयास किए , पर उसका स्वास्थ्य निरतर गिरता गया । 18 अक्तूबर 1931 को यह महान व्यक्ति , जिसने सारे विश्व को हँसी और प्रकाश दिया था सबको रोता और शोक के अंधकार में डूबा हुआ छोड़कर चला गया । आज सारा विश्व उस महापुरुष का ऋणी है । उसका महान जीवन प्रत्येक बालक - बालिका के लिए अनुकरणीय है । inspiring short stories on positive attitude
इसे भी पढ़ें:-
1.एक महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन | real life inspirational stories in hindi
2.हार की जीत Best short motivational stories in Hindi
3.जिंदगी बदल देने वाली 5 Best Motivational Story in Hindi । best inspirational story in hindi
4.3 कहानियां दिल को छू जाने वाली | 3 hindi kahaniyan moral stories | Hindi Motivational stories
5.आप भले तो जग भला | छोटा जादूगर | short motivation story in Hindi
आपको कहानी " एडीसन | बिजली के बल्ब के अविष्कारक | inspiring short stories on positive attitude | motivation bank" कैसी लगी आप हम कॉमेंट करके बता सकते है । अगर आप हम कोई suggestion देना चाहते है कॉमेंट के माध्यम से बता सकते है otherwise हमे contant कर सकते हो ।
Post a Comment
हमें बताइए , आपको यह पोस्ट कैसा लगा ??