Love marriage ग़लत है ??(जान लीजिए वरना पछताओगे)Motivational
युवा अवस्था भी हमारे जीवन का कितना सुन्दर काल होता है न बहो में बल मन में कुछ बड़ा कर जाने कि चाह आंखो मे भविष्य के सुन्दर और कोमल सपने । और इसी अवस्था में मनुष्य के भीतर पनपता है प्रेम
किसी को देखकर मन मोहित हो जाता है और फिर मनुष्य अपना सबकुछ उसपर न्योछबर कर देना चाहता है फिर प्रेम की परिणीती होती है विवाह मे ( क्यों सबको अपने खट्टे मीठे पल याद आए न 😃)
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परन्तु यही से अधिकतर पिता और पुत्र के मध्य विचारो का विरोध होना शुरू हो जाता है संतान को लगता है कि उसके द्वारा चुना गया जीवन साथी ही उसके लिए उपयुक्त है पर माता पिता को लगता है संतान जाने अंजाने में भूल कर रही है
संतान का तर्क होता है कि उसे विवाह किस से करना है ये उसका अधिकार है और माता पिता का तर्क ये होता है अभी संतान मे जीवन साथी चुनने की समझ है ही नहीं ।
तो इस अबरोध को काटा कैसे जाए उचित निर्णय कैसे लिया जाए ??
इसका एक ही मार्ग है अपने उत्तदायित्व का भार और अपने से बडो के मापदंडों को भार विवाह कर लेने से पूर्व ये जान लेना आवश्यक हैकि विवाह केवल अपने प्रेम को पा लेने का मार्ग नहीं है अपितु विवाह से जीवन का एक मार्ग भी खुलता है
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और हर नए जीवन के साथ नए उत्तरदायित्व भी होते है और उन उत्तरदायिव को समझकर निर्णय लिया जाए
तो विश्वास कीजिए दांपत्य जीवन आनंद से भरा रहेगा ।
और आपको कभी ये पछितावा नहीं होगा कि आपने कोई ग़लत निर्णय लिया है ।
जीवन में अपनों का साथ बहुत जरूरी होता है सुख हो तो अपनों के साथ से दोगुना हो जाता है दुख हो तो बट जाता है
सोचिए यदि आपको किसी ऐसी जगह पर छोड़ दिया जाए जहां आपका अपना कोई न हो तो आप क्या करेंगे
आपका एक एक छड़ बड़ी मुश्किल से कटेगा जब तक कि आपका अपना कोई नहीं मिल जाता है
प्रश्न ये उठता है कि आपका अपना कौन है ??
वो आपके अपने है जिनसे आपका रक्त संबंध है या वो जिसके साथ आप खेले कुदे बड़े हुए कोंन है आपका ?
आपका अपना वो है जो आपका मुसीबत मे साथ दे वही आपका अपना है
अपनों के साथ समय का पता नहीं चलता परन्तु समय के साथ अपनी का पता जरूर चल जाता है कि आपका अपना कोन है ।
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