साहिल बेहद उदास चला जा रहा था, उसे समझ नही आ रहा था की वो क्या करेगा, कहा जायेगा। उसके कपड़े और चाल ढाल देखकर तो वह किसी अमीर घर से लग रहा था। फिर क्या वजह थी की उसे ऐसे दर – बदर धक्के खाने पड़ रहे थे।
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वह एक रोड से जा रहा था की तभी एक गाड़ी बड़ी तेज स्पीड से आई और मिस बैलेंस होकर एक पेड़ से टकरा गई। उस वक्त वहा कुछ और भी लोग थे लेकिन कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया।
साहिल भागा – भागा गया, और उसने पास जाकर देखा की गाड़ी में एक वृद्ध व्यक्ति थे, जोकि टक्कर से बेहोश हो गए थे। साहिल ने आस – पास के लोगो से बोला –भाईयो कोई मेरी मदद करो, इन्हे हॉस्पिटल लेकर जाना है
लेकिन किसी ने मदद नही की और उल्टा अपना मोबाइल निकलकर वीडियो बनाने लगे।
ग सीट से हटाया और उठाकर गाड़ी की पिछली सीट पर लेटा दिया। साहिल ड्राइविंग सीट पर बैठ गया, और पास के ही एक बाद हॉस्पिटल में पहुंच गया।
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जब साहिल उस वृद्ध के साथ हॉस्पिटल पहुंचा तो डॉक्टर्स ने एडमिट करने से मना कर दिया, वह बोलने लगे –यह एक पुलिस केस है। बिना पुलिस कंप्लेंट के वह इलाज नहीं करेंगे
लेकिन साहिल ने पूरी जिम्मेदारी लेकर इलाज के लिए मना लिया। बड़ी मुश्किल से डॉक्टर्स ने उस वृद्ध की जान बचाई, तब एक पुलिस भी वहा आ गई थी, उन्होंने साहिल की तारीफ की और वृद्ध की जानकारी के लिए उन्होंने उसकी गाड़ी की जांच की।
उन्हे गाड़ी में से एक बैग मिला जिसने उस वृद्ध के पेपर्स थे जिनसे उन्हें पता चला की उस वृद्ध का नाम माणिकचंद है, वह वृद्ध गुजरात का एक बहुत बड़ा बिजनेस मैन है। लेकिन वह यहां पूना में क्या कर रहा है, वह उस वृद्ध के होश में आने का इंतजार करने लगे।
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अगले ही दिन माणिकचंद को होश आ गया, पुलिस उनसे पुछताश करने लगी। उन्होंने पूछा –आप बताएंगे, की आपका एक्सीडेंट क्यू हुआ?
माणिकचंद बोले –मैं बिजनेस के सिलसिले में पूना आया था, वापस जाते वक्त मेरी तबियत खराब होने लगी जिससे मैं बेहोश हो गया और मेरी गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया,,मै आपका धन्यवाद कैसे करू,,आपने मेरी जान बचाई
इंस्पेक्टर बोला –मैने आपकी जान नही बचाई, शुक्रिया करना है तो इस लड़के साहिल का कीजिए, जो आप को समय पर हॉस्पिटल ले आया, और आपका इलाज भी कराया
सेठ माणिकचंद, साहिल से बोले –बेटा तुम्हारा शुक्रिया
साहिल बोला –इसमें शुक्रिया कैसा, ये तो मेरा फर्ज था
सेठ माणिकचंद बोले –बेटा, तुम क्या करते हो, और कहा रहते हो
साहिल कुछ छुपा रहा था, लेकिन सेठ माणिकचंद के पूछने पर साहिल ने अपनी कहानी सुनाई।
जी का नाम सेठ अशोक मल्होत्रा है, उनकी मसाले की बहुत बड़ी फैक्ट्री है, मै उनका इकलौता बेटा हूं।
लेकिन वह अपने परिवार या रिश्तेदारों पर बिल्कुल भरोसा नहीं करते, उन्हे अपनी कंपनी के एक कर्मचारी प्रेम पर बहुत भरोसा है जो उनकी चमचागिरी करते है,,और उन्हें बाकी लोगो के प्रति भड़काते है
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सेठ माणिकचंद बोले –यह तो गलत बात है हमें अपने परिवार पर भरोसा करना चाहिए, मेरा दुनिया में कोई नहीं है, काश मेरा भीं कोई बेटा होता,,फिर क्या हुआ
साहिल बोला –मेरे पिताजी ने प्रेम की बातो में आकर मुझे घर से निकाल दिया और अपनी कंपनी के सारे काम प्रेम को दे दिए, अब मेरा कोई सहारा नहीं है
सेठ माणिकचंद साहिल को अपने साथ गुजरात ले गए, और वहा जाकर साहिल को अपने बेटे की तरह रखने लगे, धीरे – धीरे साहिल ने सेठ माणिकचंद का सारा बिजनेस संभाल लिया।
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साहिल की मेहनत और ईमानदारी की वजह से सेठ माणिकचंद का बिजनेस कई गुना बड़ गया, सेठ माणिकचंद ने सब कुछ साहिल के नाम कर दिया।
वही दूसरी तरफ साहिल के पिता अशोक मल्होत्रा के मैनेजर प्रेम ने उन्हें धोखा देकर सबकुछ अपने नाम कर लिया और अशोक मल्होत्रा को इनके घर से भी निकाल दिया।
अब अशोक मल्होत्रा एक छोटे से किराए के घर में रहने लगे और अपने बेटे को याद करने लगे। प्रेम अपनी गलत आदतों की वजह से बिजनेस को संभाल नहीं पाया और जल्दी ही बर्बाद हो गया।
कुछ साल बाद जब साहिल अपने शहर पूना वापस आया तो उसे सारी बात पता चली, उसने अपने पिताजी को ढूढने में दिन – रात एक कर दिया।
एक दिन अशोक जी अपने किराए के घर के बाहर बैठे थे, तभी वहा एक बड़ी गाड़ी आ कर रूकी जिसमे से साहिल उतारा। साहिल को देखकर इसके पिताजी रोने लगे और साहिल को अपने गले से लग लिया, साहिल भी रोने लगा।
साहिल अपने पिता को लेकर गुजरात चला गया, वहा सेठ माणिकचंद भी उन्हें देखकर बहुत खुश हुए, उन्होंने साहिल की बहुत तारीफ की।
अशोक जी बहुत दुखी और शर्मिंदा थे, उन्होंने अपने सगे बेटे पर भरोसा ना करके एक पराए पर भरोसा किया। लेकिन साहिल की मेहनत और अच्छाई की वजह से वह पहले की तरह खुशहाल हो गए थे।
बच्चो इस कहानी से हमे ये सीखने को मिलता है की हमे परायो से पहले,,, अपनो पर भरोसा करना चाहिए। क्योंकि बाकी सब सपने होते है,,,अपने तो अपने होते है,,,
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